धरती का स्वर्ग कश्मीर लोकतंत्र के महापर्व में बुरी तरह झुलस गया । श्रीनगर में 9 अप्रैल को लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव हुआ, लेकिन श्रीनगर में वोटिंग के अलावा वो सब कुछ हुआ, जिसके जद में पूरा कश्मीर सालों से लिपटा हुआ है । वोटिंग के दौरान पत्थरबाजी हुई, तोड़फोड़ की गई, फायरिंग हुई । सुरक्षा बल और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प में 8 लोगों की मौत हो गयी, जबकि 36 लोग घायल हो गए । जिसमें निर्वाचन पदाधिकारी भी शामिल हैं । पोलिंग बूथ रणक्षेत्र में तब्दील हो गया ।
लगा ही नहीं कि श्रीनगर में चुनाव हो रहा है और वाकई जब चुनाव खत्म हुआ तो जो आंकड़े सामने आए वो हैरान करने वाला था । महज 6.5 फीसदी लोगों ने वोट किया । यानी श्रीनगर में चुनाव की आड़ में दहशत का कारोबार किया गया ।
लगा ही नहीं कि श्रीनगर में चुनाव हो रहा है और वाकई जब चुनाव खत्म हुआ तो जो आंकड़े सामने आए वो हैरान करने वाला था । महज 6.5 फीसदी लोगों ने वोट किया । यानी श्रीनगर में चुनाव की आड़ में दहशत का कारोबार किया गया ।
30 सालों में सबसे कम मतदान
कश्मीर में चुनावी हिंसा की अब तक की यह सबसे बड़ी घटना है । ये मौतें तब हुईं, जब प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने मध्य कश्मीर के बडगाम जिले में गोलीबारी की । श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए हुए मतदान में महज 6.5 प्रतिशत वोटिंग हुई । ये आंकड़े करीब 50 या 100 मतदान केंद्रों के या उनसे ज्यादा के हो सकते हैं । ऐसे में चुनाव आयोग के लिए भी मुश्किल है कि क्या महज 6.5 फीसदी वोटिंग के आधार पर किसी को श्रीनगर का प्रतिनिधित्व सौंपा जा सकता है । फिलहाल इस मसले पर भी चुनाव आयोग विचार करेगा ।
कैसे खाली हुई श्रीनगर लोकसभा सीट ?
श्रीनगर लोकसभा सीट पर उपचुनाव क्यों हुआ ? कैसे खाली हुई सीट ? सवाल का जवाब जब ढूढ़ेंगे तो पता चल जाएगा कि चुनाव में हिंसक झड़प होना तय था । दरअसल तारिक हामिद कारा ने अपने ही पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पर जनविरोधी नीतियों को लागू करने का आरोप लगा कर नवंबर 2016 में लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और फरवरी 2017 में कांग्रेस में शामिल हो गए
कौन हैं तारिक हामिद कारा ?
तारिक हामिद कारा पीडीपी के संस्थापक सदस्य रह चुके हैं । कारा का जन्म 28 जून 1955 में हुआ था । कारा जम्मू कश्मीर के सबसे युवा वित्त मंत्री रह चुके हैं । कारा 2004 में श्रीनगर के बाटामालू सीट से पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे । इससे पहले 2003 में वह विधान परिषद् सदस्य चुने गए ।
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सबसे बड़ा सवाल, हिंसक क्यों हुआ चुनाव ?
जिस जनविरोधी का नारा बुलंद कर जम्मू-कश्मीर में अलगावादी खतरनाक राजनीति कर रहे हैं । उसी जनविरोधी नारा का सहारा लेकर तारिक हामिद कारा ने इस्तीफा दिया था । कश्मीर में भड़काव राजनीति का इतिहास रहा है । ऐसे में श्रीनगर उपचुनाव में अलगावादी, लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार थे । श्रीनगर में मौत का सैलाब और घायलों की तादाद इस बात की तस्दीक भी करती है ।